सुहास गोपीनाथ (Suhas Gopinath) – एक नाम जो प्रेरणा और उद्यमिता की भावना से जुड़ा हुआ है। मात्र 14 साल की उम्र में उन्होंने दुनिया के सबसे युवा CEO (World’s Youngest CEO) बनने का रिकॉर्ड बनाया।
यह कहानी सिर्फ सफलता की नहीं, बल्कि जुनून, मेहनत और लगन की भी है।
Suhas Gopinath : छोटे शहर से बड़ी उड़ान
सुहास का जन्म और पालन-पोषण भारत के बेंगलुरु शहर में हुआ। एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे सुहास को बचपन से ही तकनीक में गहरी रुचि थी।
आज से करीब दस-बारह साल पहले सुहास ने ग्लोबल्स इंक (Global Inc) की नींव रखी थी, तब वो महज चौदह साल के थे। शायद उन्हें खुद भी नहीं पता था कि वो इतनी कम उम्र में दुनिया के सबसे युवा CEO (World’s Youngest CEO) बन जाएंगे। ये काम उन्होंने किसी आलीशान दफ्तर में बैठकर नहीं, बल्कि बेंगलुरु के एक छोटे से साइबर कैफे में बैठकर किया था।
आज Global Inc एक करोड़ों डॉलर वाली कंपनी है, जिसका कारोबार अमेरिका, ब्रिटेन, स्पेन, ऑस्ट्रेलिया (USA, UK, Spain, Australia) जैसे देशों में फैला हुआ है। मात्र पच्चीस साल की उम्र में, जब ज्यादातर लोग अपनी पढ़ाई पूरी करने में ही लगे होते हैं, तब तक सुहास गोपीनाथ ने अनेकों उपलब्धियां हासिल कर लीं –
- वो World Bank की ICT एडवाइजरी काउंसिल के बोर्ड मेंबर हैं।
- साल 2007 में उन्हें European Parliament and International Association for Human Values ने “Young Achiever Award” से सम्मानित किया गया।
- World Economic Forum ने उन्हें ‘Young Global Leaders’ 2008-09 के सम्मान से भी नवाजा।
- वो वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के अब तक के सबसे कम उम्र के सदस्य (young member) भी हैं।
क्या बात है!!!
आइये उन्ही की जुबान से जानते हैं उनकी कहानी:
Congratulations @narendramodi ji on your third term in office and to all the winners of the Lok Sabha elections. Democracy triumphs! 🇮🇳 #LokSabhaElections #DemocracyWins pic.twitter.com/YToM3k1XrZ
— Suhas Gopinath (@suhasgopinath) June 4, 2024
मुश्किलें और जुनून का सफर (The Journey of Challenges and Passion)
कंप्यूटर खरीदने का सपना:
World’s Youngest CEO: जब Suhas Gopinath नौवीं कक्षा में थे, तब उन्होंने काफी पैसे जमा कर लिए थे ताकि वे अपना खुद का कंप्यूटर खरीद सकें। उस समय उनके बड़े भाई इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे। सुहास के पिताजी को लगा कि उनके बेटे को ही कंप्यूटर की ज्यादा जरूरत है, इसलिए उन्होंने वही कंप्यूटर सुहास के भाई के लिए खरीद लिया। कुछ ही समय बाद, Suhas Gopinath ने भी अपना खुद का कंप्यूटर खरीद लिया। लेकिन उनके घर पर अभी भी इंटरनेट कनेक्शन नहीं था।
इंटरनेट कैफे में ज्यादा समय बिताने से उनकी पढ़ाई भी प्रभावित हुई। नौवीं कक्षा के बाद उन्होंने अपनी सारी गर्मियों की छुट्टियां कैफे में काम करते हुए बिताईं।
अमेरिका से जॉब ऑफर और खुद का बिजनेस (US Job Offer and Starting His Own Business)
जब सुहास चौदह साल के थे, तब उन्हें अमेरिका की एक कंपनी NetworkSolutions से पार्ट-टाइम जॉब का ऑफर मिला था। वो कंपनी उनकी अमेरिका में पढ़ाई का खर्च भी उठाने को तैयार थी। लेकिन सुहास ने उस ऑफर को ठुकरा दिया।
उन्होंने बिल गेट्स (Bill Gates) के बारे में पढ़ा था कि उन्होंने माइक्रोसॉफ्ट की शुरुआत कैसे की थी। इससे उन्हें प्रेरणा मिली और उन्होंने खुद की कंपनी शुरू करने का फैसला किया। उनका मानना था कि अपनी कंपनी शुरू करने में ज्यादा मजा है।
अमेरिका की कई कंपनियां सुहास की कम उम्र और उनके शैक्षणिक योग्यता को देखकर उनके काम को लेने में हिचकिचाती थीं। इस वजह से सुहास ने अपनी कंपनी शुरू करने का फैसला किया ताकि वह दुनिया को दिखा सकें कि उम्र और डिग्री ही सब कुछ नहीं होती। उन्होंने ये भी निश्चय किया कि जब वे अपनी कंपनी शुरू करेंगे, तो वे सिर्फ युवा प्रतिभाओं को ही काम पर रखेंगे और उनसे उनकी डिग्रियों या अंकों के बारे में नहीं पूछेंगे। वे आज भी अपनी कंपनी में इसी नियम का पालन करते हैं।
कंपनी की शुरुआत (Starting the Company)
नौवीं कक्षा की छुट्टियाँ खत्म होने के कुछ ही दिनों बाद, सुहास ने अपनी कंपनी ग्लोबल्स इंक. की शुरुआत की।
कंपनी रजिस्ट्रेशन की चुनौती (The Challenge of Company Registration)
भारत में 18 साल से कम उम्र का व्यक्ति कंपनी रजिस्टर नहीं करवा सकता। इसलिए Suhas Gopinath ने अमेरिका में अपनी कंपनी रजिस्टर करवाई, क्योंकि वहां कंपनी शुरू करने में सिर्फ 15 मिनट लगते हैं। इस तरह सुहास कंपनी के मालिक और सीईओ बन गए। उनके एक दोस्त जो अमेरिका के एक यूनिवर्सिटी के छात्र थे, वे बोर्ड मेंबर बन गए।
पढ़ाई और बिजनेस में संतुलन (Balancing Studies and Business)
अपने प्री-बोर्ड सीबीएसई परीक्षा में सुहास गणित में फेल हो गए। स्कूल की प्रधानाध्यापिका इस बात से बहुत हैरान थीं, क्योंकि यह पहली बार था जब सुहास किसी विषय में फेल हुए थे। उन्होंने सुहास की माँ को बुलाकर उनकी शिकायत की। घर पर माँ ने सुहास से कसम ली कि वे अपनी पढ़ाई पर ध्यान दें।
सुहास ने अपनी माँ से कहा, “जब दुनिया के सबसे अमीर आदमी, बिल गेट्स ने अपनी पढ़ाई पूरी नहीं की, तो आप मुझे पढ़ाई के लिए क्यों मजबूर करती हैं?”
इस पर उनकी माँ ने हंसी के साथ जवाब दिया, “मुझे पूरा यकीन है कि तुम्हारी और उनकी कुंडली एक जैसी नहीं है।”
सुहास ऐसे परिवार से ताल्लुक रखते थे, जहाँ उद्यमशीलता (entrepreneurship) को गलत समझा जाता था। उनकी माँ चाहती थीं कि वे पहले इंजीनियरिंग और फिर एमबीए करके
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