UAE First Hindu Temple: यूएई की धूप से झुलसी धरती पर, जहां ऊँची-ऊँची इमारतें आसमान को छूती हैं, वहीं Abu Dhabi शहर के बाहरी इलाके में कुछ अलग ही नज़ारा दिखाई देता है। रेगिस्तान की सुनहरी रेत के बीच मानो हिमालय का कोई टुकड़ा आकर बिछा दिया गया हो। ये है स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर, जो अपने शिखरों को छूते ऊंचे गुंबदों और नक्काशीदार मीनारों के साथ किसी स्वप्निल नगरी जैसा प्रतीत होता है।
14 फरवरी 2024 को खुलने जा रहा यह मंदिर यूएई में पहला हिंदू मंदिर होने के साथ-साथ विभिन्न संस्कृतियों के संगम का प्रतीक भी है। इसके निर्माण की कहानी 27 साल पहले 1997 में स्वामी महाराज के एक सपने से शुरू हुई थी, जिसमें उन्होंने अबू धाबी (Abu Dhabi) के रेगिस्तान में आध्यात्मिक शांति का द्वार खोलने की कल्पना देखी थी।
आज वो सपना हकीकत बनने जा रहा है। आइए जानते हैं इस भव्य मंदिर के निर्माण की अद्भुत यात्रा, इसकी खासियतों और यूएई तथा भारत के बीच इसके बढ़ते धार्मिक एवं सांस्कृतिक संबंधों में इसकी भूमिका को।

UAE First Hindu Temple: एक सपने का बीज और सहयोग का अंकुर
1997 में स्वामी महाराज के सपने के बाद उनके उत्तराधिकारी स्वामी नृत्यनंदन स्वामी ने यूएई सरकार से संपर्क किया। तब के युवराज शीख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान ने उनकी कल्पना का समर्थन किया और मंदिर निर्माण के लिए भूमि आवंटित करने का ऐतिहासिक फैसला लिया।
2015 में इस जमीन का हस्तांतरण हुआ और यह कदम न केवल अंतर-धार्मिक सहिष्णुता का उदाहरण बना बल्कि दोनों देशों के बीच मजबूत संबंधों का प्रतीक भी बन गया।
शिलान्यास से उद्घाटन तक: निर्माण की शानदार यात्रा
2019 में हजारों भक्तों की उपस्थिति में मंदिर का शिलान्यास हुआ। निर्माण कार्य के दौरान भारत की तीन पवित्र नदियों – गंगा, यमुना और सरस्वती के जल को पत्थरों पर अर्पित किया गया। यह समारोह भारत और यूएई(UAE) के सांस्कृतिक जुड़ाव को दर्शाता है।
चार साल के अथक परिश्रम के बाद मंदिर अब अपने पूरे वैभव के साथ खड़ा है। इसके निर्माण में भारतीय शिल्पियों का कौशल और मॉडर्न तकनीक का संगम देखने को मिलता है। मंदिर में 40,000 क्यूबिक फीट संगमरमर, 1,80,000 क्यूबिक फीट बलुआ पत्थर और 18,00,000 से ज्यादा ईंटों का इस्तेमाल किया गया है। इसकी ऊंचाई 108 फीट है, जो हिंदू धर्म में शुभ माना जाता है।
मंदिर की वास्तुकला पारंपरिक शैली और आधुनिकता का सौहार्दपूर्ण मिश्रण है। इसमें भगवान स्वामीनारायण, शिव, कृष्ण, हनुमान आदि हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित की गई हैं। इसके अलावा ऋषियों और संतों की प्रतिमाएं भी देखने को मिलेंगी। मंदिर में एक प्रदर्शनी कक्ष भी है, जो भारत और यूएई के सांस्कृतिक संबंधों को उजागर करता है।

रेगिस्तान में मंदिर: सिर्फ धार्मिक स्थल से परे
स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल ही नहीं है बल्कि विभिन्न संस्कृतियों को जोड़ने वाला एक सांस्कृतिक केंद्र भी है। मंदिर परिसर में पुस्तकालय, कक्षाएं, सामुदायिक केंद्र, सभास्थल और रंगभूमि जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध हैं। यहां सांस्कृतिक कार्यक्रम, व्याख्यान, शैक्षणिक गतिविधियां और सामुदायिक सेवाओं का आयोजन किया जाएगा। इससे यूएई(UAE) में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों को एक साझा मंच मिलेगा और स्थानीय लोगों को भारतीय संस्कृति से जुड़ने का अवसर प्रदान होगा।
इसके अलावा, मंदिर पर्यावरण संरक्षण के प्रति भी प्रतिबद्ध है। निर्माण के दौरान टिकाऊ सामग्री का इस्तेमाल किया गया है और जल पुनर्चक्रण जैसी तकनीकों को अपनाया गया है।
उद्घाटन समारोह: एक ऐतिहासिक पल:
14 फरवरी 2024 को होने वाला मंदिर का उद्घाटन समारोह एक ऐतिहासिक घटना होगी। इसमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे, जो यूएई और भारत के बीच बढ़ते संबंधों को और मजबूत करेगा। इस समारोह में यूएई(UAE) के गणमान्य व्यक्ति, राजनयिक और विभिन्न धर्मों के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे।
यह उद्घाटन समारोह न केवल यूएई में रहने वाले हिंदू समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर होगा, बल्कि पूरे विश्व में विभिन्न संस्कृतियों के बीच सहिष्णुता और सह-अस्तित्व को बढ़ावा देने में भी अहम भूमिका निभाएगा।
भविष्य के लिए एक कदम:
स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर सिर्फ एक इमारत नहीं है, बल्कि यूएई और भारत के बीच बढ़ते संबंधों का एक प्रतीक है। यह मंदिर आने वाले कई सालों तक धार्मिक सद्भाव, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और सामुदायिक सेवा का केंद्र बना रहेगा। यह न केवल यूएई में रहने वाले हिंदू समुदाय के लिए आस्था का केंद्र होगा, बल्कि स्थानीय लोगों को भारतीय संस्कृति और धर्म को समझने का एक अवसर भी प्रदान करेगा।
रेगिस्तान के बीच खिलने वाला यह “कमल” आने वाले समय में मानवता के विभिन्न रंगों को एक साथ पिरोने का काम करेगा।
मंदिर की विशेषताएं:
| 20,000 वर्ग मीटर में फैला हुआ 108 फीट ऊंचा 40,000 क्यूबिक फीट संगमरमर, 1,80,000 क्यूबिक फीट बलुआ पत्थर, और 18,00,000 ईंटों का इस्तेमाल 300 सेंसर से युक्त पारंपरिक शिला मंदिर शैली पुस्तकालय, कक्षा, सामुदायिक केंद्र, सभास्थल, रंगभूमि जैसी सुविधाएं |
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