Stock Market Crash: शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव एक सामान्य बात है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि क्या होगा अगर बाजार में अचानक भूकंप आ जाए? क्या आप जानना चाहते हैं कि कैसे भारतीय शेयर बाजार ने कई बार घातक गिरावट के बावजूद अपनी स्थिति को पुनः मजबूत किया? यहां हम आपको आठ ऐसे प्रमुख मार्केट क्रैश की बात करेंगे जो न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बने थे। इन घटनाओं से हमें क्या सीख मिलती है, जानिए इस लेख में।
1. हर्षद मेहता घोटाला (1992)
भारत के इतिहास में जब भी शेयर बाजार के घोटाले का जिक्र होगा, तो हर्षद मेहता का नाम सबसे पहले आएगा। हर्षद मेहता, जो एक प्रसिद्ध स्टॉक ब्रोकर थे, ने अपनी धोखाधड़ी से शेयरों की कीमतों में हेराफेरी की थी। नतीजतन, सेंसेक्स लगभग 56% गिर गया था। 1992 में, सेंसेक्स 4,467 से गिरकर 1,980 तक पहुंच गया। इस घोटाले ने भारतीय शेयर बाजार की विश्वसनीयता को हिला कर रख दिया था।
सीख: इस घटना से हमें यह समझने की जरूरत है कि शेयर बाजार में निवेश करते समय हमेशा सत्यापन और पूरी जानकारी से ही कदम बढ़ाएं।
2. डॉट कॉम बबल फटना (2000)
Stock Market Crash: साल 2000 में भारतीय शेयर बाजार में एक बड़ी गिरावट आई, खासकर IT और टेक्नोलॉजी सेक्टर में। सेंसेक्स 5,937 से गिरकर 3,404 तक पहुंच गया। यह गिरावट 43% थी और इसे “डॉट कॉम बबल” के रूप में जाना जाता है। इसमें कई टेक कंपनियों की अत्यधिक मुल्यांकन के कारण यह गिरावट आई।
सीख: इस घटना से यह सीखने को मिलता है कि हमें हमेशा कंपनियों के बिजनेस मॉडल और उनकी वास्तविक आय पर ध्यान देना चाहिए, न कि सिर्फ बाजार के ट्रेंड्स पर।

3. केतन पारेख स्कैम (2001)
केतन पारेख द्वारा मिडकैप स्टॉक्स में मुल्य हेराफेरी की गई थी। इसके परिणामस्वरूप, मिडकैप स्टॉक्स में 50-70% तक की गिरावट (Stock Market Crash) देखने को मिली। यह घटना हर्षद मेहता घोटाले के बाद भारतीय शेयर बाजार का दूसरा बड़ा घोटाला था।
सीख: इस घटना से यह सीखने को मिलता है कि हमें छोटे और मिडकैप स्टॉक्स में निवेश करने से पहले पूरी तरह से अनुसंधान करना चाहिए।
4. चुनाव परिणाम और शेयर बाजार (2004)
2004 के आम चुनावों के दौरान यूपीए गठबंधन की अप्रत्याशित जीत ने बाजार में अनिश्चितता पैदा कर दी थी। मई 2004 में, सेंसेक्स में अचानक 15% की गिरावट आई(Stock Market Crash)। हालांकि, चुनाव परिणाम के बाद, बाजार ने कुछ ही हफ्तों में सुधार करना शुरू कर दिया।
सीख: इस घटना से यह महत्वपूर्ण सबक मिलता है कि राजनीतिक घटनाएं बाजार को प्रभावित कर सकती हैं, और ऐसे समय में हमें अपने निवेश पर ध्यान से विचार करना चाहिए।
5. वैश्विक वित्तीय संकट (2008)
2008 में वैश्विक वित्तीय संकट ने दुनिया भर के बाजारों को हिलाकर रख दिया था। लेहमैन ब्रदर्स का पतन और सबप्राइम संकट ने भारत में भी सेंसेक्स को 60% तक गिरा दिया। 2008 में, सेंसेक्स 21,206 से गिरकर 8,160 पर आ गया था।
सीख: इस घटना से यह सीखा जा सकता है कि वैश्विक आर्थिक घटनाएं भारत को भी प्रभावित कर सकती हैं, इसलिये निवेशक को हमेशा इमरजेंसी फंड और पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन के बारे में सोचना चाहिए।
6. चीन बाजार संकट और मूल्यांकन (2015)
चीन की आर्थिक मंदी, युआन की मूल्यह्रास और बढ़ते एनपीए ने भारतीय बाजार को प्रभावित किया। फरवरी 2016 में सेंसेक्स में 26% की गिरावट आई थी। हालांकि, भारतीय बाजार 12-14 महीनों के भीतर ठीक हो गया था।
सीख: हमें वैश्विक आर्थिक स्थिति पर नजर बनाए रखनी चाहिए, क्योंकि अन्य देशों के आर्थिक संकट हमारे निवेश पर भी असर डाल सकते हैं।
7. नोटबंदी और जीएसटी का प्रभाव (2016)
8 नवंबर 2016 को मोदी सरकार द्वारा नोटबंदी की घोषणा ने भारतीय अर्थव्यवस्था में अस्थिरता पैदा की थी। इसके बाद, 2016 में जीएसटी लागू होने से भी अर्थव्यवस्था में ठहराव आया। इससे सेंसेक्स में भी अस्थिरता देखी गई थी।
सीख: यह घटना दिखाती है कि घरेलू नीतिगत परिवर्तन भी बाजार को प्रभावित कर सकते हैं, इसलिये निवेशक को हर समय संभावित प्रभावों का मूल्यांकन करना चाहिए।
8. कोविड-19 का संकट (2020)
कोविड-19 महामारी के कारण 2020 में भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट आई। मार्च 2020 में सेंसेक्स में 39% की गिरावट आई थी। हालांकि, इस संकट के बाद, शेयर बाजार ने बहुत तेजी से रिकवरी की।
सीख: कोविड-19 संकट ने यह साबित कर दिया कि अप्रत्याशित घटनाएं जैसे महामारी शेयर बाजार को प्रभावित कर सकती हैं। इसलिये हमेशा अपने निवेश के लिए एक इमरजेंसी फंड और तरलता बनाए रखें।
निष्कर्ष (Conclusion)
Stock Market Crash: शेयर बाजार की अस्थिरता को देखकर हम यह कह सकते हैं कि बाजार में हमेशा उतार-चढ़ाव होते रहते हैं। प्रत्येक गिरावट से हमें कुछ नया सिखने को मिलता है। इसलिये, निवेश करते समय हमें हमेशा दीर्घकालिक दृष्टिकोण, सही अनुसंधान और विविधीकरण को प्राथमिकता देनी चाहिए।
FAQ’s
- भारतीय शेयर बाजार कितनी बार क्रैश हुआ है?
भारतीय शेयर बाजार प्रमुख रूप से 8 बार क्रैश हुआ है। इनमें 1992 का हर्षद मेहता स्कैम, 2000 का डॉट कॉम बबल, 2008 का ग्लोबल फाइनेशियल क्राइसिस और 2020 का कोविड-19 क्रैश जैसी प्रमुख घटनाएं शामिल हैं। - शेयर बाजार क्रैश होने के प्रमुख कारण क्या रहे हैं?
आर्थिक मंदी, राजनैतिक घटनाएं, और बड़े घोटाले जैसे कारण शेयर बाजार क्रैश होने के लिए जिम्मेदार रहे हैं। - क्या क्रैश के बाद मार्केट रिकवर करता है?
हां, क्रैश के बाद बाजार हमेशा रिकवर करता है। उदाहरण के तौर पर, 2008 के संकट के बाद सेंसेक्स 60,000 तक पहुंच गया। - मार्केट क्रैश से हमें क्या सीख सकते हैं?
धैर्य रखना, पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाइड रखना और हमेशा एक इमरजेंसी फंड रखना। - क्रैश के दौरान हमें क्या करना चाहिए?
धैर्य रखें, भावनात्मक निर्णय से बचें, पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाइड रखें और लॉन्ग-टर्म निवेश का दृष्टिकोण अपनाएं।
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