Silver New Gold Investment पिछले कुछ वर्षों में एक दिलचस्प बदलाव देखने को मिला है—निवेशक गोल्ड से पैसा निकालकर तेजी से सिल्वर की ओर बढ़ रहे हैं।
कई लोगों के मन में सवाल उठता है:
आख़िर ऐसा क्या बदल गया कि चांदी अचानक निवेशकों की नई पसंद बन गई?
अगर आप भी यही जानना चाहते हैं, तो यह लेख आपके लिए है। आइए पूरा मामला समझते हैं।
1. सिल्वर का इतिहास — सिर्फ गहने नहीं, असली मुद्रा
चांदी का इतिहास हजारों साल पुराना है। सोने की तरह चांदी भी एक प्रेशियस मेटल है, लेकिन कई लोग शायद यह नहीं जानते कि पुराने समय में चांदी दुनिया की मुख्य करेंसी हुआ करती थी।
लोग चांदी और सोने के सिक्कों से खरीदारी करते थे, व्यापार करते थे, और असली धन इन्हीं धातुओं को माना जाता था।
धीरे-धीरे जब पेपर करेंसी दुनिया भर में प्रचलित हुई, तब सोना और चांदी आर्थिक लेन-देन से बाहर हो गए और उनके स्थान पर नोटों ने जगह ले ली।
इसके साथ ही Gold-Silver Ratio में भी भारी बदलाव आया।
2. Gold-Silver Ratio — असंतुलन की असली वजह
इतिहास में Gold-Silver Ratio आमतौर पर 10:20 के बीच रहता था। यानी 1 ग्राम सोने के बदले 10 से 20 ग्राम चांदी मिल जाती थी।
लेकिन समय के साथ यह रेशो बढ़कर 50–60 तक पहुंच गया।
आज नवंबर 2025 में यह रेशो लगभग 80:1 के आसपास है।
मतलब —
1 ग्राम सोने = 80 ग्राम चांदी।
यह आंकड़ा इतना बड़ा है कि विशेषज्ञ भी इसे अनसस्टेनेबल मानते हैं।
सबसे दिलचस्प बात यह है कि दुनिया में सोना चांदी से सिर्फ 10 गुना ज्यादा है, लेकिन कीमत 80 गुना ज्यादा है!
इससे यह साफ दिखता है कि चांदी की वास्तविक कीमत दबाई हुई है, और बाजार में इसकी कीमतें अपने असली मूल्य से काफी कम हैं।

3. करेंसी की गिरती वैल्यू — सोने की नहीं, नोटों की कीमत घटती है
कई लोग समझते हैं कि सोने की कीमत बढ़ती है, लेकिन असल में ऐसा नहीं होता।
सोने की वैल्यू स्थिर रहती है—
महंगाई (Inflation) के कारण करेंसी की वैल्यू गिरती है।
इसका मतलब यह है कि:
- नोट की खरीदने की क्षमता कम होती जाती है
- करेंसी कमजोर होती है
- और सोने की कीमतें बढ़ती दिखाई देती हैं
ऐसी आर्थिक स्थिति में सिल्वर भी प्रभावित होता है लेकिन इसकी कीमत अक्सर पीछे रह जाती है, क्योंकि अधिकतर निवेशक पहले गोल्ड को चुनते हैं।
लेकिन अब यह ट्रेंड बदल रहा है।
4. सिल्वर की मांग — लगातार बढ़ता हुआ स्ट्रक्चरल डेफिसिट
सवाल आता है कि क्या सिल्वर की डिमांड कम हो रही है?
बिल्कुल नहीं! उल्टा, सिल्वर लगातार स्ट्रक्चरल डेफिसिट में है।
कई सालों से सिल्वर की सप्लाई से ज्यादा उसकी मांग है।
यह इसलिए क्योंकि:
- माइनिंग सीमित है
- रीसायकलिंग मुश्किल है
- और इंडस्ट्रीज में उपयोग तेजी से बढ़ रहा है
यह स्थिति निवेशकों के लिए साफ संकेत है कि सप्लाई कम और डिमांड ज्यादा = कीमतें बढ़ने की संभावना ज्यादा।
5. चांदी का महत्व — प्रेशियस मेटल से इंडस्ट्रियल मेटल तक का सफर
पिछले 100 सालों में चांदी की भूमिका जैसी बदल गई है, वैसा सोने के साथ कभी नहीं हुआ।
आज चांदी सिर्फ एक “गहने की धातु” नहीं, बल्कि एक महत्त्वपूर्ण इंडस्ट्रियल मटेरियल बन चुकी है।
दुनिया में जितनी भी माइनिंग और रीसायकलिंग से चांदी निकलती है, उसका लगभग:
67% हिस्सा सिर्फ इंडस्ट्रीज में खप जाता है।
चांदी की सबसे बड़ी खासियत है इसकी:
- बेहतरीन इलेक्ट्रिकल कंडक्टिविटी
- शानदार थर्मल कंडक्टिविटी
- आसान मोल्डिंग
- और हाई रिफ्लेक्टिविटी
ये गुण इसे कई उद्योगों के लिए अनिवार्य बनाते हैं।
6. चांदी का उपयोग — हमारे चारों तरफ मौजूद, लेकिन हमें पता भी नहीं
बहुत लोग सोचते हैं कि चांदी सिर्फ:
- गहनों
- बर्तनों
- या सिक्कों
में उपयोग होती है।
लेकिन असलियत यह है कि चांदी हमारे जीवन के हर हिस्से में मौजूद है और कई बार हमें इसका एहसास भी नहीं होता।
चांदी इन जगहों पर उपयोग होती है:
- इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EV)
एक EV कार में 25–50 ग्राम तक चांदी उपयोग होती है। - सोलर पैनल
सोलर पैनल में उपयोग होने वाली सिल्वर पेस्ट तकनीक इसकी मांग को तेजी से बढ़ा रही है। - इलेक्ट्रॉनिक्स
फोन, लैपटॉप, टीवी, मेडिकल डिवाइसेज—सबमें चांदी की जरूरत पड़ती है। - AI और डेटा सेंटर्स
AI के बढ़ते उपयोग से डेटा सेंटर तेजी से बढ़ रहे हैं, और यहां उच्च-स्तरीय कंडक्टिविटी के लिए चांदी का भारी उपयोग होता है। - बैटरियां और नैनो-टेक
चांदी नई बैटरी तकनीकों और नैनो-साइंस में भी इस्तेमाल हो रही है।
कई इंडस्ट्रीज में चांदी को रिप्लेस करना लगभग असंभव है क्योंकि उसकी जगह कोई और धातु कंडक्टिविटी और परफॉर्मेंस नहीं दे सकती।
7. Silver New Gold Investment : क्या चांदी की सप्लाई बढ़ाई जा सकती है?
बहुत से लोग सोचते हैं कि जब डिमांड बढ़ रही है तो सप्लाई भी बढ़ जाएगी।
लेकिन असली स्थिति इसके उलट है।
कारण 1: सिल्वर “Primary Metal” नहीं है
चांदी की माइनिंग अधिकतर Copper और Zinc की माइनिंग के दौरान by-product के रूप में मिलती है।
इसका मतलब यह है कि:
- चाहे चांदी की कीमत कितनी भी बढ़ जाए,
- माइनिंग कंपनियां सिल्वर की माइनिंग बढ़ा नहीं सकतीं
क्योंकि उनका मुख्य लक्ष्य Copper या Zinc निकालना होता है।
कारण 2: इलेक्ट्रॉनिक्स से रीसायकल मुश्किल
इलेक्ट्रॉनिक्स में चांदी पेस्ट फॉर्म में इस्तेमाल होती है, इसलिए रीसायकल करना बेहद कठिन है।
परिणाम
- सप्लाई सीमित है
- डिमांड लगातार बढ़ रही है
- कमी (Shortage) आगे और बढ़ सकती है
यह सब चांदी की कीमतों में तेजी लाने वाले प्रमुख कारण हैं।
8. आगे की कीमतें — क्या सिल्वर 2025–2030 में चमक सकता है?
सिल्वर की कीमतें ऊपर जाएंगी या नीचे — इसे 100% अनुमान लगाना लगभग नामुमकिन है।
लेकिन जो ट्रेंड दिख रहा है वह काफी स्पष्ट है:
- इंडस्ट्री: तेजी से बढ़ती मांग
- माइनिंग: सीमित सप्लाई
- रीसायकल: मुश्किल
- निवेशकों की रुचि: तेजी से बढ़ रही
- गोल्ड-सिल्वर रेशो: ऐतिहासिक ऊँचाई पर
इन सभी संकेतों से लगता है कि लंबी अवधि में सिल्वर मजबूत साबित हो सकता है, हालांकि इसमें वोलाटिलिटी गोल्ड से कहीं ज्यादा होती है।
FAQ — चांदी और सिल्वर ETF से जुड़े सामान्य सवाल
1. भारत में कौन-कौन से सिल्वर ETF उपलब्ध हैं?
- Nippon India Silver ETF
- ICICI Prudential Silver ETF
- HDFC Silver ETF
- Aditya Birla Sun Life Silver ETF
- Kotak Silver ETF आदि
2. क्या चांदी की सप्लाई बढ़ाई जा सकती है?
नहीं।
चांदी की माइनिंग मुख्य रूप से by-product होने के कारण इसकी सप्लाई बढ़ाना आसान नहीं है।
3. चांदी का उपयोग कहाँ होता है?
- इलेक्ट्रॉनिक्स
- सोलर पैनल
- EV
- मेडिकल उपकरण
- ज्वेलरी
- AI Data Centers
- बैटरियां
और कई अन्य हाई-टेक इंडस्ट्रीज में।
4. गोल्ड या सिल्वर—बेहतर निवेश कौन सा?
- कम रिस्क, स्थिरता चाहिए → गोल्ड
- ज्यादा ग्रोथ, लेकिन वोलाटिलिटी भी स्वीकार है → सिल्वर
5. चांदी कैसे खरीदें?
सबसे आसान तरीका है Silver ETF, जिसके जरिए आप शेयर बाजार से आसानी से डिजिटल सिल्वर खरीद सकते हैं।
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1 thought on “क्यों निवेशक गोल्ड बेचकर सिल्वर खरीद रहे हैं? असली वजह जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे | Silver New Gold Investment”
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